
रायपुर/खैरागढ़। राज्य सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान खरीदी कार्य को अत्यावश्यक सेवा की श्रेणी में रखा है। इसके तहत 15 नवंबर से 31 जनवरी 2026 तक किसी भी कर्मचारी द्वारा कार्य से इंकार करने पर रोक लगा दी गई है। यह आदेश छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण एवं विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 (ESMA) की धारा 4(1) एवं 4(2) के तहत जारी किया गया है और तत्काल प्रभाव से लागू है।
जिला प्रशासन खैरागढ़ के अनुसार, जिले के विभिन्न धान उपार्जन केंद्रों में तैनात 50 समिति प्रबंधक 15 नवंबर को ड्यूटी पर अनुपस्थित पाए गए। इसे सरकारी आदेश का गंभीर उल्लंघन मानते हुए प्रशासन ने पुलिस अधीक्षक को एफआईआर दर्ज करने हेतु पत्र भेजा है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि धान खरीदी जैसे संवेदनशील कार्य में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसी बीच, धान खरीदी से जुड़े 51 नए केंद्र प्रभारियों और 51 ऑपरेटरों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इसमें पोर्टल संचालन, माप-तौल, पारदर्शिता और किसानों की सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश शामिल हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि प्रशिक्षण के बाद भी यदि कोई कर्मचारी ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है, तो उसके विरुद्ध भी ESMA के तहत कार्रवाई होगी।
4 समिति प्रबंधक निलंबित
धान खरीदी कार्य में लापरवाही और ड्यूटी से गैरहाजिर रहने पर इटार, डोकराभाठा, गढ़ाडीह और हनईबंद उपार्जन केंद्रों के चार समिति प्रबंधकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
जिला प्रशासन ने दोहराया कि धान खरीदी प्रक्रिया सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी प्रकार की लापरवाही, बाधा या असहयोग को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।














